Saturday, November 20, 2010

RRIN MUKTI HETU PRAYOG

मंगलवार के दिन लाल चोकी पर लाल वस्त्र बांधकर मसूर की दाल पर ताम्बे का लोटा स्थापित करें, ॐ अंगारकाय नमः मंत्र बोलते हुए लोटे में जल भरें, ॐ कुजाय नमः मंत्र बोलकर कलश पर आम के पत्र रखें, ॐ भुमिपुत्राय नमः कहकर श्री फल रखें, इसके बाद ताम्बे का दीपक प्रज्जवलित कर दीपक का पूजन करें. इसके उपरांत उसी कलश का मंगल के स्वरूप में पूजन करें, प्रसाद के रूप में गुड-चना चढ़ाएं. इसके बाद ताम्बे का मंगल यन्त्र पंचामृत से स्नान कराकर सिंदूर अक्षत लाल पुष्प गुड से पूजन करें १०८ बार मंगल रिन्हर्ता स्तोत्र का पाठ करें, पाठ के उपरांत ७ ब्राम्हणों को मीठे भोजन कराएँ, ऐसा प्रयोग १६ मंगलवार नियमित रूप से करें जिस यन्त्र का पूजन किया है वह यन्त्र वाहन में रखने से वाहन से सम्बंधित सभी बाधाएँ दूर होती हैं ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऋण हर्त्रे अंगारकाय नमः इस मंत्र प्रतिदिन ७ माला ४१ दिवस तक जाप करने से ऋण की मुक्ति होती है 

Wednesday, November 17, 2010

CANCER NIWARAN HETU PRAYOG

सामग्री : १ ताम्बे की थाली में १२ अगरवत्ती, ५ अनार, २ ताम्बे के दीपक घी की बत्ती के साथ, २ सुपाड़ी ११ सिक्के, २५ ग्राम सिन्दूर, २५-२५ ग्राम गुड-चना, १२ गुलाब के पुष्प
क्रिया : उपरोक्त सामग्री को ताम्बे की थाली में रखने के उपरांत कैंसर रोगी के सर से सात बार उतारें, तदुपरांत हनुमान जी के मंदिर में रखकर घर जावें पीछे मुड़कर नहीं देखें, यह प्रयोग ४१ मंगलवार करें .

Tuesday, November 16, 2010

वशीकरण हेतु कामदेव मन्त्र

“ॐ नमः काम-देवाय। सहकल सहद्रश सहमसह लिए वन्हे धुनन जनममदर्शनं उत्कण्ठितं कुरु कुरु, दक्ष दक्षु-धर कुसुम-वाणेन हन हन स्वाहा।”
विधि- कामदेव के उक्त मन्त्र को तीनों काल, एक-एक माला, एक मास तक जपे, तो सिद्ध हो जायेगा। प्रयोग करते समय जिसे देखकर जप करेंगे, वही वश में होगा।
“बारा राखौ, बरैनी, मूँह म राखौं कालिका। चण्डी म राखौं मोहिनी, भुजा म राखौं जोहनी। आगू म राखौं सिलेमान, पाछे म राखौं जमादार। जाँघे म राखौं लोहा के झार, पिण्डरी म राखौं सोखन वीर। उल्टन काया, पुल्टन वीर, हाँक देत हनुमन्ता छुटे। राजा राम के परे दोहाई, हनुमान के पीड़ा चौकी। कीर करे बीट बिरा करे, मोहिनी-जोहिनी सातों बहिनी। मोह देबे जोह देबे, चलत म परिहारिन मोहों। मोहों बन के हाथी, बत्तीस मन्दिर के दरबार मोहों। हाँक परे भिरहा मोहिनी के जाय, चेत सम्हार के। सत गुरु साहेब।”
विधि- उक्त मन्त्र स्वयं सिद्ध है तथा एक सज्जन के द्वारा अनुभूत बतलाया गया है। फिर भी शुभ समय में १०८ बार जपने से विशेष फलदायी होता है। नारियल, नींबू, अगर-बत्ती, सिन्दूर और गुड़ का भोग लगाकर १०८ बार मन्त्र जपे।
मन्त्र का प्रयोग कोर्ट-कचहरी, मुकदमा-विवाद, आपसी कलह, शत्रु-वशीकरण, नौकरी-इण्टरव्यू, उच्च अधीकारियों से सम्पर्क करते समय करे। उक्त मन्त्र को पढ़ते हुए इस प्रकार जाँए कि मन्त्र की समाप्ति ठीक इच्छित व्यक्ति के सामने हो।

SANTAN PRAPTI HETU PRAYOG

जिन दम्पत्तियों को संतान प्राप्ति में कोई भी समस्या हो तो वे निम्न प्रयोग करें-----
१- १८० दिवस तक चावल के आटे के शिवलिंग निर्माण कर भगवन शिव का पुष्प लेकर ध्यान करें, कामना करें की हे भगवन शिव हमारे ऊपर कोई भी विघ्न, पितृ , नवग्रह दोष आदि हो तो उससे दूरकर संतान सुख कामना हेतु हम आपका ध्यान/ आवाहन करते हैं आप इस शिवलिंग में विराजमान होएये .... इसके उपरांत आसन देकर पंचामृत से स्नान कराएँ, वस्त्र के रूप में कच्चा सूत अर्पित करें, यागोप्वीत चढ़ाकर पुष्प धुप-दीप, प्रसाद दक्षिणा अर्पण कर भगवन का महामंत्र ""ॐ नमो भगवते अघोर रुद्राय बंध्यादोश निवारणं कुरु-कुरु ठम-ठम "" का जाप करें............इसके उपरांत ॐ नमः शिवाय स्वाहा महामंत्र द्वारा गुड से हवन करें तदुपरांत इसी हवन आहुति में पड़े गुड का प्रसाद निकालकर थोडा सा गुड मिलाकर पति-पत्नी सेवन करें .

DHAN PRAPTI HETU UPAY

शनिवार की रात्रि में १०८ कमलगट्टा लेकर जलाशय, जलसरोवर इत्यादि के पास यह दिव्य धनदाई साधना हेतु गणपति पूजन करें इसके उपरांत मंत्र
"ॐ हरीम श्रीम हूम कलीम बगलामुखी गदाधारिन्याई स्वाहा" 
मंत्र बोलते हुए १०८ कमलगट्टे जल में छोड़ना है. इसके उपरांत ११ सिक्के लेकर लाल कपडे की पोटली में रखकर गंध और अक्षत से पूजन करें तदुपरांत यह सामग्री धन स्थान पर रखने से व्यापार की उन्नति एवं घर में रखने से अचल संपत्ति की वृद्धि, मुक़दमे में विजय, ऋण से छुटकारा आदि लाभ होते हैं.

Monday, November 15, 2010

BAGLAMUKHI VAIDIK TRIPUR SUNDRI SAPT KOTI SADHNA

बगलामुखी महासाधना महाविद्याओं मैं से श्रेष्ठ साधना है, इस साधना के द्वारा वैदिक विधानों द्वारा करने से असंभव कार्य संभव हो सकता है. इस महाविद्या की उपासना प्राचीनकाल से ऋषि-महर्षियों ने वैदिक विधानों द्वारा साधना सिद्धकर अपने संकल्पनिष्ठ, कर्मनिष्ठ, ब्रह्मनिष्ठ शिष्यों को गुरु परंपरा के द्वारा प्रदानकर वर्तमान समय में इस विद्या के द्वारा अनेकानेक अचूक प्रयोगों के द्वारा अपने कार्यों की सिद्धि की हैं.
मुगलकाल समय में इस विद्या का प्रयोग होता रहा प्राचीन समय से ही स्थापित शक्तिपीठ डोंगरगढ़(छत्तीसगढ़), दतिया(मध्यप्रदेश) में इसका केंद्र रहा है.

Sunday, November 14, 2010

BAGLAMUKHI SADHNA

हलीम` ब्रह्मास्त्रई विद्महे !
स्तम्भन बानयई धीमहि !
तन्नो बगला प्रचोदयात !!